Aye Imaan Walo ! Allah Se Daro

Aye Imaan Walo ! Allah Se Daro




ऐ ईमान वालों अल्लाह से डरो

Darood Sharif ki Fazilat

आकाए नामदार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला ने एक फ़रिश्ता पैदा किया जिसके दानों बाजूओं का दर्मियानी फ़ासला पूरब पच्छिम को घेरे हुए है, सर उसका अर्श के नीचे है और दोनों पाँव तहतुस्सरा में हैं, रूए जमीन पर आबाद मखलूक के बराबर उस के पैर हैं |

मेरी उम्मत में से जब कोई मर्द या औरत मुझ पर दुरूद भेजता है तो उस फ़रिश्ते को अल्लाह तआला का हुक्म होता है कि वह अर्श के नीचे नूर के समुन्दर में गोता ज़न (डुबकी लगाए) तो वह गोता लगाता है, जब बाहर निकल कर वह अपने बाजू (पर) झाड़ता है तो उसके परों से कतरे टपकते हैं, अल्लाह तआला हर कतरे से एक फ़रिश्ता पैदा करता है जो कियामत तक उस के लिए दुआए मगफिरत करता है । एक दाना का कौल है कि "जिस्म की सलामती कम खाने में है और रूह की बका कम गुनाहों में है और ईमान की सलामती हुजूर नबीए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरूद व सलाम पढ़ने में है" अल्लाह तआला का इरशाद है।

दरूदे इब्राहिम


ऐ ईमान वालों अल्लाह से डरो

यानी दिल में खौफे खुदा पैदा करो और उस की इताअत व फ़रमांबरदारी करो।" और इन्सान देखे कि आइन्दा के लिए आगे क्या भेजा है।

मतलब यह है कि कियामत के दिन के लिए क्या अमल किया । इस का मफ़हूम यह है कि सद्का करो और नेक काम करो ताकि कियामत के दिन उनका बदला पाओ और अपने रब से डरते रहो, अल्लाह तआला तुम्हारी हर अच्छी और बुरी बात को जानता है।

कियामत के दिन फरिश्ते जमीन, आसमान, दिन व रात तमाम गवाही देंगे कि आदमजादे ने यह कामभलाई का किया या बुराई का, फ़रमांबरदारी की या नाफरमानी यहां तक कि इंसान के अपने आज़ा भी उसके खिलाफ गवाही देंगे, ईमानदार और मुत्तकी व परहेज़गार इन्सान के हक में जमीन गवाही देगी, चुनान्चे ज़मीन यूं कहेगी। इस इन्सान ने मेरी पीठ पर नमाज़ पढ़ी, रोज़ा रखा, हज किया, जिहाद किया, यह सुन कर ज़ाहिद व मुत्तकी शख्स खुश होगा और काफ़िर व नाफरमान के खिलाफ़ ज़मीन गवाही देते हुए ये कहेगी, इसने मेरी पीठ पर शिर्क किया, ज़िना किया, शराब पी, और हराम खाया, अब इसके लिए हलाकत व बरबादी है। अगर अरहमुरीहिमीन ने उस पर कड़ा हिसाब किया । साहबे ईमान वह है जो जिस्म के तमाम आज़ा के साथ अल्लाह तआला से डर रखता हो, जैसा कि फकीह अबू लैस ने फ़रमायाः सात बातों में अल्लाह तआला के खौफ का पता चल जाता है।


7 बातों में अल्लाह तआला के खौफ का पता चल जाता है |


1. उस की ज़बान गलत बयानी, गीबत, चुगली, तुहमत, और फ़जूल बोलने से बची हो और अल्लाह तआला का जिक्र करने, तिलावते कलाम पाक करने,और दीनी उलूम सीखने में लगी हो।

2. उस के दिल से दुश्मनी, बुहतान और मुसलमान भाईयों का हसद निकल जाए क्योंकि हसद नेकियों को चाट जाता है जैसा कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है |
हसद नेकियों को खा जाता है जैसे आग लकड़ी को खा जाती है।
जानना चाहिए कि हसद दिल की सब से घटिया बीमारियों में से एक बीमारी है
और दिल की बीमारियों का इलाज सिर्फ इल्म और अमल से ही हो सकता है।

3. उस की नज़र हराम खाने पीने से और हराम लिबास वगैरह से महफूज़ रहे और दुनिया की तरफ़ लालच की नज़र से न देखे बल्कि सिर्फ इबरत पकड़ने के लिए उस की तरफ़ देखे और हराम पर तो कभी उसकी निगाह भी न पड़े जैसा कि नबीए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया |
जिसने अपनी आँख हराम से भरी अल्लाह तआला कियामत के दिन उसको आग से भर देगा।

4. उसके पेट में हराम खाना न जाए। यह गुनाहे कबीरा है । हुजूर नबीए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया |
बनी आदम के पेट में जब हराम का लुक्मा पड़ा तो ज़मीन व आसमान का हर फ़रिश्ता उस पर लानत करेगा जब तक कि वह लुक्मा उस के पेट में रहेगा और अगर उसी हालत में मरेगा तो उस का ठिकाना जहन्नम होगा।

5. हराम की तरफ हाथ न बढ़ाए बल्कि ताकत भर उस का हाथ अल्लाह तआला की फरमाबरंदारी की तरफ बढ़े।
हज़रते कअब इब्ने अहबार रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह तआला ने सब्ज़ मोती (जबर्जद) का महल पैदा फ़रमाया, उस में सत्तर हज़ार घर हैं और हर घर में सत्तर हज़ार कमरे हैं उस में वही दाखिल होगा जिस के सामने हराम पेश किया जाए और वह सिर्फ अल्लाह के डर की वजह से उसे छोड़ दे।

6. उसका कदम अल्लाह तआला की नाफरमानी में न चले बल्कि सिर्फ उसकी इताअत व खुशनूदी में रहे, आलिमों और नेकों की तरफ़ हरकत करे ।

7. इबादत व मुजाहिदा, इन्सान को चाहिए कि ख़ालिस अल्लाह तआला के लिए इबादत करे, रियाकारी व मुनाफिकत से बचता रहे,अगर ऐसा किया तो यह उन लोगों में शामिल हो गया जिन के बारे में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है।


और तेरे रब के नज़दीक आख़िरत डरने वालों के लिए है।

दूसरी आयत में यूं इरशाद है

बेशक मुत्तकी अमन वाले मकाम में होंगे गोया अल्लाह तआला यह फ़रमा रहा है कि यही लोग (मुत्तकी व परहेज़गार) कियामत के दिन दोज़ख से छुटकारा पायेंगे और ईमानदार आदमी को चाहिए कि वह बीम व रजा (डर और उम्मीद) के दर्मियान रहे वही अल्लाह तआला की रहमत का उम्मीदवार होगा और उस से मायूस व नाउम्मीद नहीं रहेगा। अल्लाह तआला ने फरमाया - अल्लाह तआला की रहमत से नाउम्मीद न हो। पस अल्लाह तआला की इबादत करे, बुराई के कामों से मुंह मोड़ ले और अल्लाह तआला की तरफ़ पूरी तरह मुतवज्जह हो ।


*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)

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