Khauf E ILahi » Allah KA Dar » खौफ ए इलाही

 Khauf e ILahi » खौफ ए इलाही


जनाब अल्लामा अबुल्लैस रहमतुल्लाह अलैह कहते हैं कि सातवें आसमान पर अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ के ऐसे फ़रिश्ते हैं कि उन्हें अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला ने जब से पैदा किया है, बराबर सज्दा में हैं और अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला के अजाब से इन्तेहाई खौफजदा हैं, कियामत के दिन जब वह सज्दा से सर उठायेंगे तो कहेंगे।

ऐ अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तू पाक है, हम तेरी कमा हक्कहू इबादत नहीं कर सके ।

अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला का फरमान है

वह फ़रिश्ते अपने रब عَزَّوَجَلَّ  से डरते हैं और जिस चीज़ का उन्हें हुक्म दिया गया है वही करते हैं और एक पल भी मेरी नाफरमानी में नहीं गुज़ारते।

रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जब कोई बन्दा अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ के खौफ से कांपता है तो उस के गुनाह उसके बदन से ऐसे झड़ जाते हैं जैसे दरख्त को हिलाने से उस के पत्ते झड़ जाते हैं। 

Darood Sharif ki Fazilat

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हिकायत :- एक नौजवान एक औरत की मुहब्बत में गिरिफ्तार हो गया, वहऔरत किसी काफिला के साथ बाहर के सफर पर रवाना हो गई, जवान को जब मालूम हुआ तो वह भी काफिला के साथ चल पड़ा | जब क़ाफ़िला जंगल में पहुंचा तो रात हो गई, रात को उन्होंने वहीं पड़ाव किया, जब सब लोग सो गये तो वह नौजवान चुपके से उस औरत के पास पहुंचा और कहने लगा मैं तुझ से बे इन्तेहा मुहब्बत करता हूं और इसी लिए मैं काफ़िला के साथ आ रहा हूं |औरत बोली जाकर देखो कोई जाग तो नहीं रहा है? जवान ने मारे खुशी के सारे काफ़िला का चक्कर लगाया और वापस आकर कहने लगा कि सब लोग बे ख़बर पड़े सो रहे हैं । औरत ने पूछा, अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला के बारे में तेरा क्या ख्याल है? क्या वह भी सो रहा है? जवान बोला! अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तो न कभी सोता है, न ही उसे कभी ऊंघ आती है, तब औरत बोली! लोग सो गये तो क्या हुआ, अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तो जाग रहा है, हमें देख रहा है, उस से डरना हम पर फ़र्ज़ है, जवान ने जैसे ही यह बात सुनी, खुदा عَزَّوَجَلَّ के डर से कांपने लगा और बुरे इरादा से तौबा कर के घर वापस चला गया । कहते हैं कि जब वह जवान मरा तो किसी ने उसे ख़्वाब में देख कर पूछा, सुनाओ क्या गुज़री? जवान ने जवाब दिया मैं ने अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला के खौफ़ से एक गुनाह को छोड़ा था, अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला ने उसी वजह से मेरे तमाम गुनाहों को बख्श दिया।

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हिकायत :- मज्मउल लताइफ़ में है कि बनी इसराईल में एक कसीरुल अयाल (ज़्यादाऔलाद वाला) आबिदथा, उसे तंगदस्ती ने घेर लिया, जब बहुत परेशान हुआ तो अपनी औरत से कहा जाओ, किसी से कुछ मांग कर लाओ। औरत ने एक ताजिर के यहां जाकर खाने का सवाल किया, ताजिर ने कहा अगर तुम मेरी आरजू पूरी कर दोतो जो चाहो ले सकती हो, औरत बेचारी चुपचाप खाली हाथ घर लौट आई। बच्चों ने जब माँ को खाली हाथ आते देखा तो भूक से चिल्लाने लगे और कहने लगे | अम्मी! हम भूक से मर रहे हैं हमें कुछ खाने को दो ।औरत दोबारा उसी ताजिर के यहां लौट गई और खाने का सवाल किया, ताजिर ने फिर वही बात की जो पहले कह चुका था।

औरत रज़ामन्द हो गई मगर जब यह दोनों तख़लिया (तन्हाई) में पहुंचे तो औरत खौफ़ से कांपने लगी। ताजिर ने पूछा किस से डरती हो? उस ने कहा मैं उस रब्बेलम यज़ल عَزَّوَجَلَّ  के खौफ से कांपती हूं जिस ने हमें पैदा किया । तब ताजिर बोला जब तुम इतनी तंगदस्तीऔर मुफलिसी में भी खुदा عَزَّوَجَلَّ का ख़ौफ़ रखती हो तो मुझे भी अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ के अज़ाब से डरना चाहिए। यह कहा और औरत को बहुत सा माल व मनाल देकर इज़्ज़त के साथ रवाना किया।

अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला ने पैग़म्बरे वक़्त मूसा अलैहिस्सलाम पर वहीं भेजी कि फुलां इब्नने फुलां के पास जाओ और उसे मेरा सलाम कह दो और कहना कि मैंने उस के तमाम गुनाहों को माफ कर दिया है । मूसा अलैहिस्सलाम अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ के हुक्म के मुताबिक उस ताजिर के पास आये और पूछा क्या तुमने कोई अज़ीम नेकी अंजाम दी है जिस की वजह से अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला ने तुम्हारे तमाम गुनाहों को माफ़ कर दिया है और जवाब में ताजिर ने ऊपर बयान किया हुआ सारा वाकिआ कह सुनाया।

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हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं, फरमाने इलाही   عَزَّوَجَلَّ है-मैं अपने किसी बन्दा पर दो खौफ़ और दो अमन (सुकून) जमा नहीं करता जो शख़्स दुनिया में मेरे अज़ाब से डरता है मैं उसे आख़िरत में बेख़ौफ़ कर दूंगा लेकिन जो दुनिया में मेरे अज़ाब से बे-खौफ रहता है, मैं उसे आखिरत में खौफजदा करूंगा (उस पर अज़ाब नाज़िल करूंगा।

अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला का इरशाद है

तुम लोगों से नहीं, मुझ से डरो।

एक और में है

अगर तुम मोमिन हो तो लोगों से नहीं, मुझ से डरो।

हज़रते उमर रज़ियल्लाहु अन्हु और ख़शियते इलाही

हजरते उमर रज़ियल्लाहु अन्हु जब कुरआन मजीद की कोई आयत सुनते तो खौफ से बेहोश हो जाते । एक दिन एक तिन्का हाथ में लेकर कहा काश! मैं एक तिन्का होता, कोई काबिले ज़िक्र चीज़ न होता, काश मुझे मेरी माँ न जनती (पैदा करती)और खुदा عَزَّوَجَلَّ के डर से आप इतना रोया करते थे कि आप के चेहरे पर आंसूओं के बहने की वजह से दो काले निशान पड़ गये थे।

Allah Ka Dar Aur Khauf 

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया

जो शख्स खौफे खुदा عَزَّوَجَلَّ से रोता है वह जहन्नम में हरगिज़ दाखिल नहीं होगा, उसी तरह जैसे कि दूध दोबारा अपने थनों में नहीं जाता।

दकाइ.कुल अख्बार में है कि कियामत के दिन एक शख्स को लाया जाएगा, जब उस के आमाल तौले जायेंगे तो बुराईयों का पलड़ा भारी हो जाएगा चुनान्चे उसे जहन्नम में डालने का हुक्म मिलेगा, उस वक्त उस की पलकों का एक बाल अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ की बारगाह में अर्ज करेगा कि ऐ रब عَزَّوَجَلَّ ्बे जुल जलाल! तेरे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया था जो अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ के डर से रोता है, अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला उस पर जहन्नम की आग हराम कर देता है और मैं तेरे खौफ से रोया था अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला का दरियाए रहमत जोश में आएगा और उस शख्स को एक अश्कबार (रोने वाले) बाल के बदले जहन्नम से बचा लिया जाएगा, उस वक्त हज़रते जिबरील अलैहिस्सलाम पुकारेंगे “फलां बिन फलां एक बाल के बदले नजात पा गया।"

हिदायतुल हिदाया :- में है कि कियामत के दिन जब जहन्नम को लाया जाएगा तो उस से हैबतनाक आवाजें निकलेंगी जिस की वजह से लोग उस पर से गुज़रने में घबरायेंगे।

जब लोग जहन्नम के करीब आयेंगे तो उस से सख्त गरमी और खौफनाक आवाजें सुनेंगे जो पांच सौ साल के सफ़र की दूरी से सुनाई देती होंगी, जब हर नबी नफसी नफ़्सीऔर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उम्मती उम्मती कह रहे होंगे उस वक्त जहन्नम से एक बहुत ही बुलन्द आग बाहर निकलेगी और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत की तरफ बढ़ेगी, आपकी उम्मत उस की मुदाफ़अत (बचाव) में कहेगी “ऐ आग! तुझे नमाज़ियों, सद्का देने वालों, रोज़ा दारों और खौफे ख़ुदा रखने वालों का वास्ता, वापस चली जा!" मगर आग बराबर बढ़ती चली जाएगी, तब हज़रते जिबरील अलैहिस्सलाम, यह कहते हुए कि जहन्नम की आग उम्मते मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की तरफ बढ़ रही है, आपकी खिदमत में पानी का एक प्याला पेश करेंगे और अर्ज करेंगे, ऐ अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ के नबी! इस से आग पर छींटे मारिए। आप आग पर पानी के छींटे मारेंगे तो वह आग फौरन बुझ जाएगी, उस वक्त आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिबरील अलैहिस्सलाम से उस पानी के बारे में पूछेगे, जिबरील अलैहिस्सलाम कहेंगे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ! यह खौफे खुदा عَزَّوَجَلَّ से रोने वाले आप के गुनहगार उम्मतियों के आंसू थे, मुझे हुक्म दिया गया कि मैं यह पानी आपकी ख़िदमत में पेश करूं और आप उस से जहन्नम की आग को बुझा दें।

हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुआ मांगा करते थे ऐ अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ ! मुझे ऐसीआंखें अता फ़रमा जो तेरे खौफ़ से रोने वाली हों।

“ऐ मेरी दोनों आंखो! मेरे गुनाहों पर क्यों नहीं रोती हो? मेरी उम्र बरबाद होगई और मुझे मालूम भी न हुआ।

अल्लाह का डर और खौफ

हदीस शरीफ़ में है "कोई ऐसा बन्दए मोमिन नहीं जिसकी आंखों से खौफे खुदा عَزَّوَجَلَّ से मक्खी के पर के बराबर आंसू बहे और उस की गरमी उस के चेहरे पर पहुंचे और उसे कभी जहन्नम की आग छुए।"

जनाब मुहम्मद बिन अलमुन्ज़र रहमतुल्लाह अलैह जब खुदा عَزَّوَجَلَّ के ख़ौफ़ से रोते तो अपनी दाढ़ीऔर चेहरे पर आंसू मला करते और कहते ।“मैंने सुना है कि वजूद (जिस्म) के जिस हिस्से पर आंसू लग जायेंगे उसे जहन्नम की आग नहीं छूएगी।"

हर मोमिन के लिए ज़रूरी है कि वह अज़ाबे इलाही   عَزَّوَجَلَّ से डरता रहे और अपने आप को ख्वाहिशाते नफ़्सानी से रोकता रहे।

फरमाने इलाही   عَزَّوَجَلَّ है

पस जिस किसी ने नाफरमानी की और दुनिया की जिन्दगी को सब कुछ जाना उस का ठिकाना जहन्नम है और जो अपने रब عَزَّوَجَلَّ  के सामने खड़े रहने मकाम से डरा और अपने नपस को ख्वाहिशात से रोक दिया तो उस की पनाहगाह जन्नत है।

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जो इन्सान अज़ाबे इलाही   عَزَّوَجَلَّ से बचना चाहे और सवाब व रहमत का उम्मीदवार हो. उसे चाहिए कि दुनिया की मुसीबतों पर सब करे |अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ की इबादत करता रहे और गुनाहों से बचता रहे।

जहरुर्रियाज़ में एक हदीस है कि जब जन्नती जन्नत में दाखिल होंगे तो फरिश्ते उनके सामने तरह-तरह की निअमतें पेश करेंगे, उनके लिए फर्श बिछायेंगे,मेम्बर रखे जायेंगे और उन्हें मुख्तलिफ किस्म के खाने और फल पेश किए जायेंगे, उस वक्त जन्नती हैरान बैठे होंगे, अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला फ़रमाएगा ऐ मेरे बन्दो! हैरान क्यों हो? यह जन्नत तअज्जुब की जगह नहीं है, उस वक्त मोमिन अर्ज करेंगे, बारे इलाह! तूने एक वादा किया था जिस का वक्त आ पहुंचा है, तब फ़रिश्तों को हुक्मे इलाही   عَزَّوَجَلَّ होगा कि इनके चेहरों से पर्दे उठा लो! फरिश्ते अर्ज़ करेंगे यह तेरा दीदार कैसे करेंगे हालांकि यह गुनहगार थे? उस वक़्त फ़रमाने इलाही   عَزَّوَجَلَّ होगा तुम हिजाब (पर्दा) उठा दो, यह जिक्र करने वाले, सज्दा करने वाले और मेरे खौफ से रोने वाले थे और मेरे दीदार के उम्मीदवार थे। उस वक्त पर्दे उठा दिए जायेंगे और जन्नती अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ का दीदार होते ही सज्दा में गिर जायेंगे, फ़रमाने इलाही   عَزَّوَجَلَّ होगा,सर उठालो यह जन्नतदारे अमल नहीं, दारे जज़ा (बदला पाने का मकाम) है और वह अपने रब عَزَّوَجَلَّ  को बे कैफ देखेंगे, अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ तआला फरमाएगा

मेरे बन्दो! तुम पर सलामती हो, मैं तुम से राज़ी हूं, क्या तुम मुझ से राजी हो? जन्नती अर्ज करेंगे ऐ हमारे रब عَزَّوَجَلَّ ! हम कैसे राजी नहीं होंगे हालांकि तूने हमें वह निअमतें दीं जिनको न किसी आंख ने देखा, न किसी कान ने सुना और न ही किसी दिल में उनका तसव्वुर गुज़राऔर यही उस फ़रमाने इलाही   عَزَّوَجَلَّ का मक़सूद है कि अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ उन से राज़ी हुआ और वह अल्लाह  عَزَّوَجَلَّ से राजी हुए।


*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)

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