Har Namaz Ke Baad Sabse Jada Padhe Jane Wale Durood Sharif

 हर नमाज़ के बाद ज्यादा पढ़े जाने वाले दुरूद शरीफ़

दुरूद शरीफ़ 1

दुरूद शरीफ़ बराए कुशादगीए रिज्क

अल्लाहुम्मा् सल्लि अ़ला मुहम्मदिन अ़ब्दिका् व रसूलिंका् व सल्लि अ़लल-मुअ्मिनीना् वल मुअ्मिनाति वल मुस्लिमीना् वल मुस्लिमाति |

हज़रत अबू सईद रद़ियल्लाहु अ़न्हु ने फ़रमाया कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम का इर्शाद मुबारक है कि जिस शख़्स को मंजूर हो कि मेरा माल बढ़ जाए तो वह यूँ कहा करे।

दुरूद शरीफ़ 2

शफ़ाअ़ते रसूल सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम

अल्लाहुम्मा् सल्लि अ़ला मुह़म्मदिवं व अनज़िलहुल मक़अ़दल मुक़र्रबा् इ़न-दका् योमल क़ियामति |

हज़रत रूवैफ़ा बिन साबित अन्सारी फ़रमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जो शख़्स इस दुरूद शरीफ़ को पढ़े उसके लिए मेरी शफाअ़त वाजिब हो जाती है।

दुरूद शरीफ़ 3

दीदारे सरकारे दो आ़लम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम

अल्लाहुम्मा् सल्लि व सल्लिम व बारिक़ अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदि-निन-नबिय्यिल उम्मियि ह़बीबिल आलियि कदरिल अजीमिल जाहि व अ़ला आलिही व सहबिही व सल्लिम |

(बुजुर्गों ने फ़रमाया कि जो शख्स हर शबे जुमा (जुमेरात और जुमा की दर्मियानी रात) इस दुरूद शरीफ़ को पाबन्दी से कम से कम एक बार पढेगा मौत के वक्त सरकारे दो आ़लम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम की जियारत करेगा और कब्र में दाखिल होते वक्त भी देखेगा कि सरकार उसे कब्र में अपने रहमत भरे हाथों से है। उतार रहे |

दुरूद शरीफ़ 4

दुरूद बराए मगफिरत 

अ़ल्लाहुम्मा सल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिवं व अ़ला आलिही व सल्लिम

ताजदारे अरब-व अजम सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने फ़रमाया कि जो शख्स यह दुरूद पाक पढ़े अगर खड़ा हे तो बैठने से पहले और बैठा था तो खड़े होने से पहले उस के गुनाह साफ कर दिए जाएंगे ।

दुरूद शरीफ़ 5

हज़ार दिन तक नेकियाँ

अ़ल्लाहुम्मा् सल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिवं व अ़ला आलि सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिन कमा तुह़िब्बु व तर्दा़ लहू

मज़रउ़ल ह़सनात में है कि जो शख़्स यह दुरूद शरीफ़ एक मर्तबा पढ़ता है तो सत्तर फ़रिश्ते एक हज़ार दिन तक उस के नाम-ए-अअ्माल में नेकियाँ लिखते हैं।

दुरूद शरीफ़ 6

दुरूद हल्लल मुश्किलात

अल्लाहुम्मा् सल्लि व सल्लिम व बारिक अ़ला सय्यिदिना मुह़म्मदिन क़द दा़कत ही-लती-अद-रिक्नी या रसूलल्लाह

हुजूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैहि वसल्लम फ़रमाते हैं जो शख़्स मेरे नाम के साथ सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम लिखता है जब तक उस किताब में मेरा नाम मौजूद रहेगा फ़रिश्ते उसके गुनाहों की मुआफ़ी और रहमत की दुआ़ करते रहेंगे ।

दुरूद शरीफ़ 7

खज़ीन-ए-फज़ाइल-व बरकात

सल्लल्लाहु अ़लन-नबिय्यिल उम्मिय्यि व आलिही सल्लल्लाह अ़लैहि वसल्लम सलातवं व सलामन अ़लैका् या रसूलल्लाह़ि

यह दुरूद शरीफ़ हर नमाज़ खुसूसन जुमा की नमाज़ के बाद मदीना मुनव्वरा की जानिब मुहँ करके सौ मर्तबा पढ़ने से बे शुमार फजा़इल-व बरकात हा़सिल होते हैं ।

दुरूद शरीफ 8

छः लाख दुख्द शरीफ का सवाब

अल्लाहुम्मा् सल्लि अ़ला सय्यिदिना व मौलाना मुह़म्मदिन अदा्-द-मा फ़ि इल्मिल्लाहि सलातन दाइमतम बि-दवामि मुल्किल्लाहि |

शैखुद-दलाइल ने हज़रत जलालुददीन सियूती से रिवायत की इस दुरूद शरीफ को एक बार पढने से छः लाख दुरूद शरीफ़ पढने का सवाब हासिल होता है।


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