मर्द मोमिन की नमाज़ » Mard Momin Ki Namaz
खतीब और इब्नुल नज्जार की रिवायत है कि नमाज़ इस्लाम की अलामत है जिस का दिल नमाज़ की तरफ़ मुतवज्जह रहाऔर उस ने तमाम शराइत के साथ सही वक्त पर और सही तरीके से नमाज़ पढ़ी, वह मोमिन है।
इब्ने माजा की रिवायत है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला का इरशाद है । “मैं ने आप की उम्मत पर पाँच नमाजें फ़र्ज़ की हैं और मैं ने अपने लिए वादा कर लिया है कि जो शख्स इन नमाज़ों को उन के वक़्तों में अदा करेगा उसे जन्नत में दाखिल करूँगा और जो उन की पाबन्दी नहीं करेगा, मेरा उस शख्स के लिए कोई वादा नहीं है ।
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अहमद और हाकिम की रिवायत है कि जिस शख्स ने यह जान लिया कि नमाज़ उस पर वाजिब और ज़रूरी है और उस ने उसे अदा किया वह जन्नत में जाएगा।
तिर्मिज़ी, नसई और इब्ने माजा की हदीस है कि कियामत में सब से पहला अमल जिस का बन्दे से मुहासिबा होगा वह नमाज़ है, अगर नामजें सही हुईं तो वह कामयाब व कामरान हुआ और अगर नमाज़ों में नुकसान निकला तो वह ख़ाइब व ख़ासिर हुआ,
अगर उस के फ़राइज़ कम हो जायेंगे तो अल्लाह तआला फ़रमाएगा, देखो मेरे बन्दे की नफ़्ली इबादत है और नफ़्लों से उस के फ़राइज़ को पूरा किया जाएगा, फिर सारे आमाल का दार व मदार नमाज़ के मामले में कामयाबी और नाकामी पर होगा।
भसई की हदीस में है कि कियामत के दिन सब से पहले इंसान से नमाज़ का हिसाब लिया जायेगा और सब से पहले लोगों में खून का फैसला किया जाएगा।
अहमद, अबू दाऊद, नसई, इब्ने माजा और हाकिम में यह हदीस है कि कियामत में सब से पहले इंसान की नमाज़ का हिसाब होगा अगर पूरी हुईं तो उन्हें मुकम्मल लिख दिया जाएगा और अगर कम हुईं तो अल्लाह तआला फरिश्तों से फ़रमाएगा देखो मेरे बन्दे की नफ़्ल इबादत है और उस से फर्ज़ इबादत मुकम्मल की जाएगी, फिर ज़कात का हिसाब होगा और इसी तरह फिर सारे आमाल का।
इब्ने असाकिर की हदीस है कि पहली वह चीज़ जिसका बन्दे से पहले कियामत में मुहासिबा किया जाएगा, उस की नामज़ देखी जाएगी,अगर नमाज़ सही हुई तो सारे आमाल सही हो गये और अगर नमाज़ में नुकसान हुआ तो सारे आमाल में नुकसान पाया जाएगा, फिर अल्लाह तआला फ़रिश्तों से फ़रमाएगा देखो मेरे बन्दे की नफ्ली इबादत है,अगर नफ़्ली इबादत होगी तो उस से फराइज़ पूरे किये जाएंगे उस के बाकी फ़राइज़ का मुहासबा होगा यही अल्लाह तआला की बख्शिश व रहमत का तरीका है।
तबरानी की हदीस है कि कियामत में सब से पहले इंसान.की नमाज़ों का सवाल होगा,अगर उस की नमाजें दुरुस्त हुईं तो सारे आमाल दुरुस्त हुए और वह नजात पा गया अगर उस की नमाजें सही न हुईं तो वह नाकाम व नामुराद हुआ।
अहमद,अबू दाऊद,हाकिम और नसई की हदीस है, कियामत के दिन सबसे पहले इंसान के सारे आमाल में से नमाज़ की पूछ ताछ होगी, अल्लाह तआला फ़रिश्तों से फ़रमाएगा हालांकि वह सब कुछ जानता है कि मेरे बन्दे की नमाजें देखो, मुकम्मल हैं या ना मुकम्मल? अगर मुकम्मल हुईं तो मुकम्मल लिख दिया जाएगा और अगर कुछ कम हुईं तो फ़रमान होगा, क्या मेरे बन्दे की नफ्ल इबादत है? अगर उस की नफ्ल इबादत हुई तो हुक्म होगा कि उस से फराइज़ को मुकम्मल करो, फिर उसी तरह दूसरे आमाल का हिसाब होगा।
तयालसी, तबरानी और अज्जिया फिल मुख्तारः की हदीस है कि मेरे पास रब तआला का पैग़ाम लेकर जिबरीले अमीन आए और कहा रब तआला फ़रमाता है, ऐ मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) मैं ने आप की उम्मत पर पाँच नमाजें फर्ज़ की हैं जो शख्स उन्हें सही वुजू से सही वक्त में सही रुकूअ और सज्दों से अदा करेगा,
वुजू का तरीका | Wazu Ka Tarika
अगर उस के फराइज़ कम हो जायेंगे तो अल्लाह तआला फरमाएगा, देखो मेरे बन्दे की नफ्ली इबादत है और नफ्लों से उस के फ़राइज़ को पूरा किया जाएगा, फिर सारे आमाल का दार व मदार नमाज़ के मामले में कामयाबी और नाकामी पर होगा।
मसई की हदीस में है कि कियामत के दिन सब से पहले इंसान से नमाज़ का हिसाब लिया जायेगा और सब से पहले लोगों में खून का फैसला किया जाएगा।
अहमद, अबू दाऊद, नसई, इब्ने माजा और हाकिम में यह हदीस है कि कियामत में सब से पहले इंसान की नमाज़ का हिसाब होगाअगर पूरी हुईं तो उन्हें मुकम्मल लिख दिया जाएगा और अगर कम हुईं तो अल्लाह तआला फ़रिश्तों से फ़रमाएगा देखो मेरे बन्दे की नफ्ल इबादत है और उस से फ़र्ज़ इबादत मुकम्मल की जाएगी, फिर ज़कात का हिसाब होगा और इसी तरह फिर सारे आमाल का।
इब्ने असाकिर की हदीस है कि पहली वह चीज जिसका बन्दे से पहले कियामत में मुहासिबा किया जाएगा, उसकी नामज़ देखी जाएगी,अगर नमाज़ सही हुई तो सारे आमाल सही हो गये और अगर नमाज़ में नुकसान हुआ तो सारे आमाल में नुकसान पाया जाएगा, फिर अल्लाह तआला फ़रिश्तों से फ़रमाएगा देखो मेरे बन्दे की नफ्ली इबादत है,अगर नफ्लीइबादत होगी तो उस से फराइज़ पूरे किये जाएंगे उस के बाकी फ़राइज़ का मुहासबा होगा यहीअल्लाह तआला की बख्शिश व रहमत का तरीका है।
तबरानी की हदीस है कि कियामत में सब से पहले इंसान.की नमाज़ों का सवाल होगा,अगर उस की नमाजें दुरुस्त हुईं तो सारे आमाल दुरुस्त हुए और वह नजात पा गया अगर उस की नमाजें सड़ी न हुईं तो वह नाकाम व नामुराद हुआ।
अहमद, अबूदाऊद,हाकिमऔर नसई की हदीस है, कियामत के दिन सब से पहले इंसान के सारे आमाल में से नमाज़ की पूछ ताछ होगी, अल्लाह तआला फ़रिश्तों से फ़रमाएगा हालांकि वह सब कुछ जानता है कि मेरे बन्दे की नमाजें देखो, मुकम्मल हैं या नामुकम्मल? अगर मुकम्मल हुईं तो मुकम्मल लिख दिया जाएगा और अगर कुछ कम हुईं तो फ़रमान होगा, क्या मेरे बन्दे की नफ़्ल इबादत है? अगर उस की नफ्ल इबादत हुई तो हुक्म होगा कि उस से फराइज़ को मुकम्मल करो, फिर उसी तरह दूसरे आमाल का हिसाब होगा।
कजा नमाजों का बयान
तयालसी, तबरानी और अज्जिया फ़िल मुख्तारः की हदीस है कि मेरे पास रब तआला का पैगाम लेकर जिबरीले अमीन आए और कहा रब तआला फ़रमाता है, ऐ मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) मैं ने आप की उम्मत पर पाँच नमाजें फ़र्ज़ की हैं जो शख्स उन्हें सही वुजू से सही वक्त में सही रुकूअ और सज्दों से अदा करेगा, मेरा उन नमाज़ों के सबब उस से वादा है कि मैं उसे जन्नत में दाखिल करूँगा और जिस ने मुझ से इस आलम में मुलाकात की कि उस की कुछ नमाज़े कम हैं तो मेरा उस के साथ वादा नहीं है, चाहूँ तो उसे अज़ाब दूं और चाहूँ तो उस पर रहम करूँ ।
बैहकी की हदीस है कि नमाज़ तराजू है, जिस ने उसे पूरा किया वह कामयाब है। दैलमी की हदीस है कि नमाज़ शैतान का मुंह काला करती है, सद्का उस की कमर तोड़ता है, अल्लाह के लिए लोगों से मुहब्बत और इल्म की दोस्ती उसे शिकस्ते फ़ाश देती है। जब तुम यह आमाल करते हो तो शैतान तुम से इतना दूर हो जाता है कि जैसे सूरज के तुलूअ होने की जगह गुरूब होने की जगह से दूर है।
तिर्मिज़ी, इने हिब्बान और हाकिम की रिवायत है कि अल्लाह तआला से डरो और पाँच नमाजें पढ़ो, माहे रमज़ान के रोजे रखो, माल की जकात दो, अपने हाकिमों की इताअत करो, तुम अपने रब की जन्नत को पा लोगे ।
अहमद, बुख़ारी, मुस्लिम, अबू दाऊद और नसई में हदीस है कि अल्लाह तआला के यहाँ सब से पसन्दीदा अमल नमाज़ को उसके सही वक्त में अदा करना है। फिर वालिदैन से हुस्ने सुलूक और फिर खुदा की राह में जिहाद करना है।'